संवाददाता, नोएडा : मानव जीवन पाकर भर दिया उजियारा जो किसी की जिंदगी में, तो समझो शिक्षा का असली उजियारा हो गया..शिक्षा के इस उजियारे से इंसान को रूबरू कराने वाले गुरुजनों के सम्मान में बृहस्पतिवार को स्कूलों के साथ ही अन्य संस्थानों में शिक्षक दिवस मनाया गया।
शिक्षकों ने खेली अंताक्षरी : आइएमएस में शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षकों के लिए अंताक्षरी, म्यूजिक चेयर जैसे खेल आयोजित किए गए। समारोह की शुरुआत संस्थान के सलाहकार आलोक अग्रवाल, शैक्षणिक सलाहकार मनोरमा त्रिखा और निदेशक डॉ एके श्रीवास्तव ने की। केक काटकर समारोह का समापन किया।
बच्चे बने शिक्षक: रायन इंटरनेशनल स्कूल में भी शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। स्कूल के चेयरमैन डॉ. ए एफ पिंटो और मैनेजिंग डॉयरेक्टर मैडम ग्रेस पिंटो ने शिक्षकों की निस्वार्थ सेवा की सराहना की। उन्होंने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण को शिक्षकों के लिए रोल मॉडल बताया और शिक्षकों को उनके रास्ते पर चलने की सलाह दी। इस अवसर छोटे कक्षाओं के बच्चों ने शिक्षकों की वेशभूषा धारण की। स्कूल के छात्र पदाधिकारियों ने शिक्षकों के लिए संगीत और नृत्य पेश किया। स्कूल की प्रधानाचार्य अनुराधा शर्मा ने सभी छात्रों को आर्शीवाद दिया।
केक काटा और मनाया शिक्षक दिवस : सेक्टर-62 स्थित इंडसवैली पब्लिक स्कूल में प्रधानाचार्य शिखा शर्मा ने शिक्षक दिवस के मौके पर केक काटा। कक्षा 11 की छात्रा विदुषि ने भरतनाट्यम की शानदार प्रस्तुति दी। नृत्य नाटिका के माध्यम से भी विद्यार्थियों ने शिक्षक और शिक्षक दिवस का महत्व बताया।
हिंदी और अंग्रेजी में बताई गुरु की महिमा : महामाया बालिका इंटर कॉलेज में इस अवसर पर छात्रों ने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में गुरू के महत्व के बारे में बताया। छात्राओं ने नृत्य, नाटक, संगीत से अपनी शिक्षिकाओं को भाव विभोर कर दिया। स्कूल की प्रधानाचार्य ने छात्राओं से आर्शीवचन कहे। इसके अलावा मैरीगोल्ड, सेक्टर-12 जीआइसी सहित अन्य स्कूलों में भी शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम हुए।
गुरु के आचरण पर निर्भर है हमारी संस्कृति : शिक्षक दिवस के. अवसर पर सेक्टर-62 स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजी में संगोष्ठी आयोजित की गई। इसका विषय कौन है सच्चा गुरु रहा। इस दौरान वरिष्ठ मनोविज्ञानी डॉ. आरके सारस्वत ने कहा कि भारतीय संस्कृति की हीन दशा के लिए शिक्षक व आध्यात्मिक गुरु जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान को समझे बिना समाज को दिशा नहीं दी जा सकती। शिष्य के मनोविज्ञान को समझे बिना उसे ज्ञान देना वैसा ही है जैसे बिना मर्ज जाने दवा देना। इस अवसर पर संस्थान के चेयरमैन कांति श्रीवास्तव ने बताया कि सफल शिक्षण के लिए शिक्षक व शिष्य दोनों को अनुशासन और मर्यादा में रहना आवश्यक है। इस अवसर पर राहुल मिश्रा सहित दिल्ली एनसीआर के 30 वरिष्ठ मनोवैज्ञानिकों ने उक्त विषय पर अपने विचार रखे.
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